Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 78
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्रमः श्रीउपा. IN ९३, १.८१" बहुवक्तव्यतापदम् ३ १६८/ २०१,२०८ द्वितीय इन्द्रियोद्देशः (३१७)| २९९, २१७* कर्मप्रकृतिपदम् २३ ४२१NI श्रीराय विषयानुक्रमे १०२ स्थितिपदम् ४ १७८ २.५ प्रयोगपदम् १६ ३ ३. २९३,२१७ प्रथमःकर्मप्रकृत्युद्देशः(१६५) श्रीजीवा० भीप्रज्ञा १२१ विशेषपदम् । १०४/२३२, २१०१७ लेश्यापदम् ३७३/ २१९ द्वितीयः कर्मप्रकृत्युदेशः (४९२)12 लघुविषयानु १४,१८४* उत्क्रान्तिपदम् ६ २१३, २००* प्रथमो लेश्योद्देशः (३४३) ३०० कर्मबन्धपदम् २४ १४६ उच्छ्वासपदम् . २२१ द्वितीयो लेश्योद्देशः (३५२, ३०१ कर्मवेदपदम् २५ १४८ सज्ञापदम् ८ २२४ तृतीयो लेश्योद्देशः (३५८०/ ३०२ कर्मवेदबन्धपदम् २० १५३ योनिपदम् २ २३०, २१८* चतुर्थो लेश्योद्देशः (३७०) ३०३ कर्मवेदवेदपदम् २७ १६०,१९१* चरमाचरमपदम् १० २३१ पञ्चमो लेश्योद्देशः (३७२/ ३१२, २२०* भाहारपदम् २८ ५२४ १७५, १०८* भाषापदम् ११ २६८ २३२ षष्ठो लेश्योद्देशः (३७३) ३०९,२१०* प्रथम आहारोद्देशः (५११) १८. शरीरपदम् १२ २८४ २०४,२१२* कायस्थितिपदम् १८ ३९५, ३१२२२८* द्वितीय आहारोद्देशः (५२४) १८५, २००* परिणामपदम् १३ २८० २५५ सम्यक्त्वपदम् ११ ३९५ ३१३ उपयोगपदम् २९ ५२८ १९०, २०१* कषायपदम् १४ २९२ २६७,२१३* अन्तक्रियापदम् २० १०७ ३१५ पश्यत्तापदम् ३० २१,२०८* इन्द्रियपदम् १५ ३१७/ २७९, २१६* शरीरपदम् २१ १३५, ३१६ २२१* सज्ञिपदम् ३१ १९८,२०६ प्रथम इन्द्रियोद्देशः (३०८)| २८८ क्रियापदम् २२ ४२२/ ३१७,२२२* संयतपदम् ३२ २८ ॥३॥ KAXXXERLEEEEXXANTARIES arA0A CAGA ARTIXXXXXXXXXXX For Private and Personal Use Only

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