Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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श्रीउपां. विषयानुक्रमे
प्रज्ञा विषयसूचिः
॥४२॥
२२४ का लेश्याः कतिषु ज्ञानेषु ।२३४ कायस्थितीन्द्रियद्वारम् । लभ्यन्ते।
३५७/ २३५ कायद्वारम्। २२५, २१०* लेश्याणां परिणाम- | २३६ कायद्वारे सूक्ष्मकायिकादीनां लक्षणम्।
३५८ कालनिरूपणम् । २२६ लेश्यानां वर्णाधिकारः। ३६० | २३७ योगद्वारम् । २२७ लेश्यानां रसाधिकारः। ३६४, २३८ वेदद्वारम् । २२८ लेश्यानां गन्धाधिकारः। ३६६/२३९ कषायद्वारम् । २२९ लेश्यानां परिणामद्वारम् । ३६७/ २४० लेण्याद्वारम् । २३० लेश्यानां स्थानद्वारम् । ३६८ २४१. सम्यक्त्वद्वारम् । २३१ देवनैरयिकविषयम् । ३७० २४२ ज्ञानद्वारम् । २३२ सामन्यतया लेश्यावर्णनम् । ३७१/ २४३ दर्शनद्वारम् ।
॥ इति सप्तदशं लेश्याख्यं पदम् ॥ | २४४ संयतद्वारम् । २३३, २११.२१२* कायस्थितिपरि. २४५ उपयोगद्वारम् । णामः।
३७४/ २४६ आहारकद्वारम् ।
३७७/२४७ भाषाद्वारम् । ३७८/ २४८ परीत्तद्वारम्।
२४९ पर्याप्तद्वारम् । ३८५ २५० सूक्ष्मद्वारम्। ३८२/ २५१ संज्ञिद्वारम्। ३८३ | २५२ भवसिद्धिकद्वारम् ।। ३८५/ २५३ अस्तिकायद्वारम् । ३८६, २५४ चरिमद्वारम् । ३८७ ॥ इत्यष्टादशं कायस्थितिपदम् ।। ३८९] १५५ सम्यग्दृष्ट्यादिभेदेन जीवाः । ३९५ ३९० इत्येकोनविंशतितम सम्यक्त्वपदम् ॥ ३९. १५६, २१३* अन्तक्रिया, तीर्थकृत्त्वा
दिप्राप्तिसंग्रहः, जीवादिष्वन्तक्रियाविचारः।
॥१२॥
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