Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 103
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीउपा. विषयानुक्रमे ॥ २८ ॥ पुस्तकरत्नवाचनधार्मिकव्यवसाय- स्थितिः। २६० १५२ जम्बूपीठमणिपीठिकासुदर्शनायामा | श्रीजीवा ग्रहणनन्दापुष्करिणीप्रवेशहस्तादि- | १४६ वैजयन्तजयन्तापराजितद्वाराणि | दि चैत्यवृक्षवर्णनं च। २१५16 विषयानुक्रमः प्रक्षालनपद्मादिग्रहणसिद्धायतना १.४५, परस्परद्वाराबाधा १४६। । १५३,२७-२८* शालचतुष्कप्रासादागमनपरिवारानुगमनदेवच्छन्दा. वतंसकसिद्धायतनादिपरिवारजम्बूगमनजिनप्रतिमाप्रणामप्रमार्जन १.४७ द्वीपसमुद्रप्रदेशस्पर्शजीवोत्पाताद्याः। | सामानिकादिजम्बूवनखण्डपुष्कस्नानदेवदूष्यनिवेशपुष्पाद्याभरणा २६२ रिणीप्रासादावतंसकसिद्धायतन न्तारोहणाष्टमङ्गलालेखनधूपोत्क्षेप- १४८ उत्तरकुरुवर्णनं, पद्मगन्धादिमनुष्या- भवनकूटसिद्धायतनतिलकादिवृक्षामहावृत्तस्तुतिशकस्तवपाठमण्डला- नुसर्जना। २८५ ष्टमङ्गलानि, द्वादश नामानि, भनालेखनद्वारचेटीप्रमार्जनादिचैत्यस्तूप १४९ यमकपर्वताधिकारः। २८७ इतराजधानीवर्णनादिः । ३०० प्रमार्जनादिजिनप्रतिमाप्रणामादि- | १५० नीलवद्धदतत्पद्मभवनद्वारमणि- १.४, २९* जम्बूद्वीपे चन्द्रसूर्यादि सुधर्मासभाप्रवेशजिनसक्थिप्रक्षा- पीठिकापरिवारपद्मकर्णिकापरिरय- प्रभासनादिः। लनार्चनादिशृङ्गाटकाद्यर्चनादेश प्रयाणि। २९० ॥ इति जम्बूद्वीपाधिकारः ।। सिंहासनोपवेशनानि। २५८ १५१ काञ्चनकपर्वताधिकारः, उत्तर- १५५, ३० लवणसंस्थानविष्कम्भद्वार१४४ सामानिकाद्युपवेशनं, पल्योपम- | कुरुद्रहाधिकारः। चतुप्कतदबाधाप्रदेशस्पर्शा. ॥२८॥ For Private and Personal Use Only

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