Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 92
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir IP श्रीउपां. विषयानुक्रमे श्रीजीवा विषयसूचिः ॥१७॥ २३० १३. विजय० विजयदेववर्णनम् २१६/ १४६ स्पर्शोत्पाटपृच्छावर्णनम् २६१ १५९ वेलन्धरभेदाः १३५ विजयदेवराजधानीवर्णनम् २१८ १४७ उत्तरकुरुवर्णनम् २६२१६० अनुवेलंधरराजभेदाः १३६ विजयद्वारवनखण्डभेदाः १.४८ यमकपर्वतवर्णनम् २८६/ १६१ गौतमद्वीपवर्णनम् ३१४|| १३७ विजयदेवसभावर्णनम् १४९ नीलवद्धदादिवर्णनम् २८७/ १६२ जम्बूद्वीपगतचन्द्रसूर्यवर्णनम् ३१५ १३८ माणवकस्तम्भदेवशयनीय- १५० काञ्चनपर्वतवर्णनम् २९१ १६३ लवणगतचन्द्रसूर्यवर्णनम् ३१५ वर्णनम् १५१ जम्बूपीठवर्णनम् ५६४ धातकीखण्डगतचन्द्रसूर्यवर्णनम् ३१७ १३९ सिद्धायतनादिवर्णनम् २३२ १५२ जम्बूवृक्षवर्णनम् २२५ १६५ कालोदगतचंद्रसूर्यवर्णनम् १.४० तिर्यगधिकारे सिद्धायतनम् २३५/ १५३ जम्बूद्वीपे चन्द्रसूर्याधिकार- १६६ द्वीपसमुद्रवर्णनम् १४१ विजयदेवाभिषकवर्णनम् २३७| १६७ देवद्वीपादिचन्द्रसूर्यद्वीपादि१४२ विजयदेवजिनपूजावर्णनम् २५२| १५४ लवणसमुद्रवर्णनम् ३०१ वर्णनम् | १४३ बिजयदेवपरिवारस्थित्यादि- १५६ लवणे चन्द्रादीनां वर्णनम् ३०३ | १६८ लवणे वेलन्धराद्या उच्छितो वर्णनम् २५९] १५६ लवणे वेलावृद्धिवर्णनम् ___ ३०५ | दत्वादिवर्णनम् ३२० १४४ वैजयन्तद्वारभेदाः २६० १५७ लवणे जलवृद्धौ कारणं ३०७/ १६९ लवणे चन्द्रसूर्यद्वीपादिवर्णनम् ३२१ १४५ वैजयन्तस्यान्तरभेदाः ,, | १५८ लवणे वेलन्धरवर्णनम् ३०८ १७० लवणे उद्वेधोत्सेधौ वर्णनम् ३२२ वर्णनम् ३०० For Private and Personal Use Only

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