Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 74
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूर्य०१२३ चं०/२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ कायाम औ० १९से किं तं संसारस रावणग०२१-८स० से णं एगाए पउमवरवेइया २०-३४सू० सोएण पवसिपिआ रा० २० संसारसमावण्ण. २२-९सू० ,,, ,, वइरामईए २५-४सू० | सोपहिं अइगयाओ जी०२१ , साहारणसरीर० २१-२२सू० ,, णं तहासजोगी सि० २२-३५२सू० सोगजरामरणाई प्रज्ञा०२२ ,, साहारण बा०व०२२-२४सू० ., तहा समुग्घातगते २२-३५१सू० सो गंगमुत्ततो सुहुमतेउक्काइया २१-२५सू० ॥७१॥ .,,, पुण्ण वणसंडे णं सोतिदियस्स णं १९-३सू० णं भंते ! तहासजोगी | "", सुहुमपुढविकाइया २१-१२सू० सोत्थि य सोविस्थिय १९-४३सू० २२-१२सू० से गृणं भंते! मण्णामीति २२-१६१सू० सो देवकम्मविहिणा " सुटुमवणस्साका० २२-२०सू० | सेयवियावि य णयरी २१-१९सू० २२-२२८ सो नत्थि इहोगासे सो नाम अणसणतवो सेकेणट्रेणं० उत्तरकुरा२ सेयंकर खेमंकर २५-९२सू० सेलम्मि चित्तकूडे सो पवयणकुलगण २१-१४८सू० २७-१७०१ ,,,, जंबुद्दीवेर सो भरियमहुरजलहर " सेवं. भंते णमोसुयदेवयाए २०-८५सू० "" , . . २५-१८०सू० सोमग्गहक्लिग्गेसु भारहे वासे २५-४२सू० सेसावि पंडुपुत्ता ,,, विजए णं - २१-१३५सू० सो अन्नया णिदाहो सोमे सहिए आसणे य २७-१७५१ , वेअढे पब्बए सोमे सहिते अस्सासणे २५-१५सू० सोअसरी दुरिअदरी २७-३९८ सो य पहो उवलद्धो ,,, हेमवए वासे २५-७९स. सोइंदिए णं० कतिपदेसो०२२-१९२सू० सोलस वेव सहस्सा से जहाणामए सिया २२-३२६९० सोऊण निसासमए २७-१६७० से णयए णोमालिय २२-२६ | , मुश्यणरवा २७-१६२८ . रोगायंका 13 २७-४२० २७-१६६३ २७-२८८३ २७-६४३ २२-१९५सू० २४-९३ २५-१७ २७-१८२९ २७-२३६१ २४-१०० २७-२२४५ २७-९१२ २५-१२९ २४-९० २७-२८७० २७-२०२० २५-१२६ २७-१६४५ देव " ॥ १॥ For Private and Personal Use Only

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