Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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औ० १९ रा० २०
जी० २१ प्रज्ञा०२२
॥ ६५ ॥
सम्म डिट्ठी गं० सम्म०
सम्भं मे सव्वभूष सु
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सहिऊण तओ
सयणस्स य मज्झगओ सय भिसया भरणीओ
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सय भिसया० बच्चंति सयरी भवंति अणयि० सरीरप्पभवा भासा ससा गं० नेरइया सब्बे सलेसेणं जीवे किं आहा० ससेत्तिं
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सलं उद्धरिअ ( उ )मणो सवणेण धणिट्ठाई
२२-२४१ सू० २७-२७३
२७-७६
२७- ८४
२७ - १७५४
२७-१८१८
२७ - १०३० २५-११६
२५-११२ २७-१०३४ २७-७४७
२२--१९३ २२-२२३० २२ - ३११० २२-२४०सू० २७--२९६
२७--८६८
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सवेदए पं० सवेदपति सव्वग्गंथवि मुक्को
सव्च जिआण महिंसं
सव्वदुविमाणस्स उ
| सञ्चट्ठाणाई असालयाई सव्वत्थ इस्थिवग्गं मि सव्वत्थेसु विमुत्तो
सव्वदुक्ख प्पहीणाणं
सव्वऽप्पगई चंदा सव्वभंतराओ णं चंद० सव्वन्तराओ णं सूर० सव्वभंतरे णं० चंदमंडले सव्वभिंतर भीई मूलो सव्वसुहप्पभवाओ
सव्वस्स जीवरासिस्स
समणसंघस्स
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२२-२३८सू०
२७-४०९
२७-१७
२७-१२०१
२७-१८०९
२७७७६
२७७७७
२७-६९२ २७-६९१
सव्वस्स समण संघस्ल सव्वं च असणपाणं
सव्वं पाणारंभ
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सव्वंपि असणपाणं सव्वं चाहारविहि सव्वा आभरणविही
सव्वाणि सव्वलोए
सव्वावि अ अजाभो सव्वाहिवि लद्धीहिं सत्तमतित्थाणं सबुत्तमलाभाणं
२७-७९
२७-१३५
२७-१०२३ २५-१४४स्०
२५-१२९सू० २५- १४८०
२७-१०२५ २७-१७७७ सव्वे अवराहपर
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सत्रे उवसग्गपरीसहे य
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२७-१५७१
२७-१४६९ २७-७५
२७-८३
२७--१६६
२७-१४६८
२७-१६७
२७-७७
२५-३१
२७-१८३०
२७-१७७६
२७-१७७४
२७-६००
२७-५९७
२७-३२४
२७-६७८
२७-१६४०
सूर्य० | २३ चं० / ०४ जं० २५
नि० २६ प्रकी०२७
।। ६५ ।।

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