Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सूर्य/२३
औ०१९ रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२
| चं०/२४ जं० २० नि० २६ प्रकी०२७
वसिऊण व सुहिमज्झे २७-१६१२ वाणमं० जहा असुरकुमाराणं २२-२१२सू० | विजयस्स पं० उभओ० दो दो २१-१३२ , वि जणमझे २७-१७८९ , पं० केवइयं ठिई २२-१००मू.
उवरिपागारा २१-१३४सू० , विमाणेसु य २७-१६२३ | वायगवरवंसाओ
विजयं च वेजयंत २७-१११२ विचित्तेसु अ २७-१६२६ । | वायामित्तणवि जत्थ २७-७८० | विजया णं राय० चत्ता० २१-१३७सू० , सुरनरीसर
वारुणवरणं समुई खीर०२१-१८२१० | विजया वेजयंति । वसियं दरीसु वसियं वाससयं परमाणु
, वेजयंती वसुहर गुणहर जयहर २५-२१ वाससयाउयमेयं
विजया य विजयंता वंसाणं जिणवंसो २७-५९२ | वाससयाउस्सेए
२७-५२० विजयेणं अटुसतचक्कद्धयाणं २१-१३३सू० वंसे वेच्छू कणए
२२-३६ वाससहस्सं पलिओवन २७-०८७ | विजा जहा पिसाय २७-३५७ वाइंगणि सल्लइथुडई वाससहस्सा संखा
| विजाणं धारण कुजा बाउकुमारिंदाणं
२७-९५२ | वासाणं० मासं कति णक्वत्ता विजावि भत्तिमन्तस्स २७-३४७ वाउसुवर्णिणदाणं २७-९७८
| विणओवयार माणस्स २७-२३१८ वाण. सोहम्मीसाणा य जहा असुर वासारत्तमि तवो
विणए बेयावञ्च
२७-२३६३ २२-२४३सू० | वाहिजरमरणमयरो २७-२९१ विणओवयार ओवहम्मियाइ २७-९३९ वाणमंतर कओहिंतो उव०२२-१३५सू० | विग्गहगए य सिद्धे २७-२७७८ | विणयपणपहि सिढिल २७-९३३ वाणमंतरा ओगाहणट्टयाए २२-११०सू० | विजउ पंचंगुलिओ
७-८९७ विमले वितत विवत्थे
२४-०५ वाणमंतरा० जहा असुरकु०२२-२१७सू० । बिजयस्स० उभओ० दो दो २१-१३१स० । विरसं आरसमाणो २७-१७९८
بیایید
EARNAXAX:)
XEXMAGES
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183