Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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औ०१९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२
२२-४२ सणनाणचरितं २७-१८७६ | दसणनाणचरित्ते
जं० २५
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दगपिप्पली य दवी दट्टण वि अप्पसुहं दढचारित्तं मत्त दढमूलमहाणंमिवि दप्पणभद्दासण दव्वाण सव्वभावा दब्धेहिं पजवेहि य दसगस्स उवक्खेवो दसदोसविप्पमुकं
२७-२३८३
२५-८०दसणभट्टो० दसणभट्ठस्स २२-१२८ | भट्ठो न हु २७-१४४१ दंसणयारं कुणई २७-४८९ | दंसणयारविसोही २७-१६५ | दाडिमपुप्फागारा २७-१४६७ दादिद्ददुश्खवेयण २७-२००७ दारुणदुहजलयर० २७-११५५ दाहिणकुच्छो पुरिसस्स
२७-६४७ | दिक्खं मइलेमाणा २७-२७०० |दिवसतिही नक्खत्ता २७-५३९ | दिवसाओ तिहिबलिओ २७-५५२ | दिवसा राइ वुत्ता य २७-५५४ | दिव्वमाणुसतेरच्छे
२७-२७० | दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा २२-५५सू० बासूप
सूये०१२३ २२-१२९ दिसाणुवाएणं सव्व०२२-५६सू० २७-१२८३ | दिसिगइइंदियकाए २२-१८० २७-२५५२ दिति य सिं उवएसं २७-१५९९ नि० २६ २७-३४१ दीवदिसाअग्गीणं
२७-९९७ प्रकी०२७ २७-३४० | , उदहीणं
२७-९५४ २७-८४१
२२-२४० दीवसमुद्दा णं भंते ! किं २१-१९१सू० २७-५०९ दीवसिहासरिसवण्णित्थ० २७-११७३ २७-१८८७ दीवामिग्गहधारी
२७-१६७६ २७-२९९ दीवोदहिरणेसु य २७-१७८४ २७-४६३ दीहं वा हस्सं वा
२७-१२११ २७-२३१२ २७-८४८
२२-१६१ २७-९२५ दुओणयं अहाजायं २७-१२४१
|दुक्खक्खयकम्मक्खय २७-४१४ २७-८७२ | दुग्गो भवकंतारे
२७-१८६७ ॥४५॥
दसघाससहस्साई
दंइति विस्सुअजसो दंडोवि य अणगारो दंतमलकण्णगृह दंतमुसलेसु गहणं दंतावि अकजकरा
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