Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 55
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऑ०१९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ पभू णं चंदडिसएभोग० २१-२०४मू० परिणामजोगसुद्धा पम्हे सुपम्हे महापम्हे २५-६१ पयइकुडिलम्मि कत्थइ २७-१७९७ | परिणामवन्नरसगंध० पयखीरुच्छरसेसु २७-१४८८ | परिणामविसुद्धीए सोहम्मे परमट्टो परमउलं २७-६०३ परित्तए णं पुच्छा परमणगयं मुणंता २७-१६ | परिमंडलो मुहुत्तो परमत्थओ न तं अमयं परिवडिओवहाणो परमत्थओ विसं णो तं २७-७५४ | परिहर असच्चवयणं परमत्थम्मि सुदि? २७-१३८५ | , छज्जीववहं परमत्थसंथवो वा २२-१३२ | परिहरसु तओ तासि परम(पसम)सुहसप्पिवासो २७-२८८ पलंडुल्हमुणकंदे य परमाणुपोग्गलाणं. पजवा २२-१२०सू | पलिओवमट्टिईया परमाणुपोग्गले णं किं चरिमे २२-१५७मू पलिओवमट्ठभागो परमाणुम्मि तइयो २२-१८५ | पलिओवमं गहाणं परिगरणिगरिश्रमको | पवरसुकरहिं पत्तं परिजाण तिगुत्तो २७-६७५ | पव्वज्जाई सब्वं परिजाणे मिच्छत्तं २७-१४५६ । पव्वजाए अम्भुजो २७-१३९५ | पसत्थेमु० अपसत्यमिमित्तेमु २७-२२४ | २७-१२६४ | पसमिअकामपमोहं पहुणो सुकयाणत्ति २७-३०१ २७-४४० पंचग्गमहिसीओ २७-९७३ २२--२४८सू० | पंच० नयरंमि कुंभकारे २७-६४४ पंचमए पुण बंभो २७-१०९२ |पंचम भत्तपरिण्णा पंचमहव्वयकलिओ २७-६२६ पंच महब्वयसुत्थिय २६-१२६२ २७-४०१ पंचमी उ दसं पत्तो २७-४८३ पंच य अणुब्बयाई |पंच य महब्बयाई २७-२०० २७--१०८९ २७-१४९२ २७-१०८८ पंचविहं जे रवि २७-१३०३ २७-४२ पंचविहं० पत्ता निखिलेण २७-१३०४ २७--१२४७ पंचसमिए तिगुत्ते २७-१५६० २७-२८३ | पंच सया पगूणा २७-६४५ " " S ॥५२॥ For Private and Personal Use Only

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