Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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भी.१९ रा०२०
जी.
प्रज्ञा०२२
नि०
प्रकी०२०
मणवयणकायजोगा २७-१८५८ मम मंगलमरिहता
| महुरा जियसत्तुसुओ मणसा अचिंतणिज्ज २७-२४३ मरणम्मि जस्स मुर्क २७-१६७३ | महुरा य सूरसेणा मणसा मणसञ्चविऊ २७-२०६ | मरण समाहीकुसले
मंखलिणावि य अरहो २७-६७४ २७-१४९९ मरणे विराहिए
२७-१०० मंताभिओगं कोउग २७-१२९८ मणसावि अचिंतणिज्ज २७-२५३३ | मसएहि मच्छियाहि य २७-१६५३ मंदणुभावा बद्धा
२७-६० मणिकणगरयणथूमि २७-१००६ | महया भडचडगरपह २७-१८१५ मंदरमेरुमणोरम मणुअत्तं जिणवयणं २७-२७८ | महानिसीहकप्पाओ
२७-८४४
| मंदरस्स०प०कह कंडा २५-१०९सू० मणुयत्त,वि बहुविह. २७-१६३२ | महा भरणिपुवाणि
२७-८८०
,,, कति णाम०२५-११०सू० मणुस्साणं० अणंतरं २२-१४२० | महाहिमवंतस्स णं बहु० भाए.
,, ,.केवण्जोइसं २५-१६६सू० , कओहिंतो उष०२२-१३४सू० | महापउमद्दहे.
२५-८१सू० मंसट्टियसंघाए
२७-१८४३ , केवायं० ठिई २२-१९सू० | महाहिमवते गं० वास कर०२५-८२सू० माऊए दुहिआए सुण्हाए २७-८४०
केवइया पज्जवा २२-१०९सू० महिला कुलं सुवंसं पियं२७-३९० |मा कासि तं पमायं . २७-३३८ सव्वे समाहारा०२२-२११सू०
महिलापसंगसेवीन लहर २७-४१८ | मा कुणसुधीर! हिं मत्तगयंदनिवाडिय २७-१७९३ | महिलासंसग्गीए
२७-४०२ माणुसुत्तरे पव्वते केवउहं१२१-१७९सू० | ममत्तं परिजाणामि
महुरविरेअणमेसो
२७-३१७ माणुस्सदेसकुलकाल. २७-१८६८ , परिवजामि २७-८६ | महुराइ मदुरखममो २७-१७२९ माणुस्सयं सरीरं
२७-५३१ मम मंगलमरिहंता २७-१५३६ । महुराहददत्तो २७-१७३६ । माणुस्सं च अणिच्वं
KA ॥५८॥
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