Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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औ०१९ रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥५१॥
चं०/२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७
पच्छायावपरको
२७-२९० | पढमम्नि य संघयणे २७-१७६८ पण्णावीसं जोअणसयाई पच्छावि ते पयाया २७-६३८ पढमं अट्ठारसगं
२७-१३२३ | पण्णासंगुलदीहो पजलंति जत्थ धगधग.
, अणियभावं
२७-१८०७ | पत्तउरसी य उरए पज्जत्तए णं पुच्छा २२-२४९सू० , बट्टविमाणं
२७-१९३९ पत्तं विचित्तविरसं पज्जलियं हुयवह
२७-७५८ | पढमा णं भंते! पुढवी किनामा पत्ता उत्तमपुरिसा पडिणीययाइ केसि २७-१७१७ किंगोत्ता
२१-६८सू० | पत्ताणि दुहसयाई पडियन्नसाहुसरणो
पदमित्थ नीलबंतो २५-४६ पत्तेण अपत्तेण य पडिपिल्लिअ कामकलि | पढमिल्लुगंमि दिवसे
पत्तेय विमाणाणं | पडिणीया २७-२७ | पढमीपंचमि दसमी २७-८५४ | पत्तेयं पत्तेयं नियगं पडि(णिय)मायगओ अ मुणो २७-१७०२ | पढमो तइओ नवमो
पत्तेया पजत्ता प.डेमासु सीह निक्कीलियासु २७-१२७५ पढमो तइओ सत्तमो। २२-२८७ पत्तेसुवि एपसुं | पाडेवसीओ उदए
,, सोहम्मबई २७-१०९१ पन्नरसइभागेण
पणपण्णा य परेणं पडप्पन पुढ वि० केवति मिल्लया पणयालीसं आयामवि० २७-१२०३ पन्नवणा ठाणाई २१-१०३सू० पण पीसट्ठारसबारसेव
पन्नासयस्स चक्ले पढंतु साहुणो एभं २७-८४५ पण्णरसाइभागेण य
पष्फोगडियकलिकलुसा पढमणरीसर ईसर २५-२३ | पण्णरस सतसहस्सा २४-३३ | पभू अन्नयरो इंदो
२७--११८४
२५-१८
२२-२३ २७-१७९९
२७-६०५ २७-१४५४
२७-४३ २७-१९४८ २७-१८२१
२२-१०६ २७-१८६९ २७-१०७३
२१-७०
२७-४९०
२७-९९२
॥५१॥
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