Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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सूर्य०१२३
औ०१९ रा० २० जी० २१
|चं०/२४
प्रज्ञा०२२
जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७
॥४४॥
तेतीसाए सुंदरि! २७-२१५३
| तेसिणं भंते ! जीवाणं २१-१३सू० | तो उद्धरंति गारव० २७-१६२ ते मेरु परियडता
|, गं० मणुआणं २५-२३सू० , उद्धरति गारवरहिया । २७-१३४७ |" , माणुसुत्तर २७-१०६४ |,,, सोलस जाल. २०-२९सू०
२७-१४६४ , मेरुमणुचरंता | तेसि आराहणनायगाण २७-३४८ ... जीवदयापरमं
२७-३७९ तेयगसरीरे गं० कति २२-२७५सू० , कलंबुयापुष्फ
२१-६६ ,, ते कयसोहीया २७-१३९८ तेयाकम्मसरीरा
२१-२२ , कलंबुयापुष्फसंठिया २७-२०६९ ,, तेऽवि पुषचरणा २७-१४०६ | तेलुकस्स पहुत्तं २७-३४४ , कलंवुयापुष्फ०
२४-७० , पढमे मासे करिसूर्ण २७-३सू | तेल्ले कोट्ठसमुग्गे
२५-११ ,, णं वणसंडाणं २०-३१सू० , परियागं च बलं २७-१३६० ते विहरिऊण विहिणा २७-१६९५ ,, पविसंताणं
२१-६५ ,,सीलगुणसमग्गो २७-१५७३ तेवीसं च विमाणा २७-११३३
,, सो नमंतसिरसं० २७-३२२ .. जोयणसयाई २७-११९१
२७-२०६८ | थावरस्स णं भंते ! केवति० २१-४४सू० तेसि णं खुट्टाखुड़ियाओ २०-३२सू० , महालयाए
धिरजायंपि हु रक्खर , गं० दव्वार्ण कतिविहे २२-१७०सू० ,, मेरुमहोयहि
२७-२३२८ | थिररासिविलग्गेसु २७-९०८ ,,, दारार्ण चंदण० २०-२८० (इसिवा०) तेसिं सुरासुरगुरू २७-१२३४ | थुइवंदणमरिहंता
२७-१५ ,, देवाणं
२५-१४२सू० तेसुवि अलद्धपसरा २७-१३०९ थेरस्स तवस्सियस्स २७-७७३ ,, पासायवडेंसगा २०-३३सू० तो(दो)अणगारा घिज्जा २७-२७२८ थोवा विमाणवासी २७-११४७ ,, भग० अम्भितर० १९-२८० | तो दियपरिकम्म २७-१३९९ | दक्षिणपुरस्थिमे
॥४४॥
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