Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
औ०१९/ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥४०॥
सूर्य०/२३
चं०/२४ जं० २५ नि. २६ प्रकी०२७
..णेता
ता कतिकट्ठ ते सूरिए २४-३०० | ता कहं ते चंदमसो घट्दो० २४-३९सू० | ता ते मासा २४-५३सू० " " "" २४-३१सू० , , , चंदे ससी २४-१०४सू० ,, मुहुसाणं २४-४७सू० ,, कतिणं चंदिमसूरिया २४-१००सू० ,, चारा २४-५२०
२४-३३सू० ,,, भंते! संव० २४-५४सू० ,, जोगस्स आदी २४-३६सू० , राहुकम्मे २४-१०३सू० , ,संवच्छरा २४-५२मू० ,,, जोतिसस्स दारा २४-५९सू०
तेरिच्छगती २४-२१सू० , कति ते चंदमंडला २४-४५० , णक्खत्तविजये २४-६०सू० , बद्धोवद्धी २४-८सू० कहं ते अणुभवि २५-१०२सू०
२४-४३सू०
,, संवच्छराणादी २४-७१सू० ,,, अद्धमंडलसंठिती२४-१२सू०
, तारग्गे २४-४२सू०
.. सण्णिवाते २४-४०सू० ., ,, उच्चत्ते २४-८९सू०
, तिही २४-४९सू०
,, ,, सिग्धगती वत्थू २४-८३सू० ,, ,, उत्तरा अद्ध० २४-१३सू० ,, दिवसा
२४-४८मृ०
,, ,, सीमाविक्खमे २४-६१सू० ,, उदयसंठिती २४-२९सू०
देवताणं २४-५६सू० ,, सेआते संठिईया २४-२५सू० ,, एवंभागा २४-३५०
दोसिणाल. २४-८-सू० ,, कंस्सि णं सूरियस्स २५-२६सू० ओयसंठिती २४-२९सू०
,, नक्खत्तसं० २४-४१सू० ,, के ते चिन्नं पडिचरंति २४-१४सू० " कुला २४-३७सू०
,, पुषिणमासिणी २४-३८सू० ,,, मरियं घरंति २४-२८० , गोत्ता २४-५०० , भोयणा २४-५१सू० |, केयायं एए दुखेसरिया २४-२५० ,, चयणोषवाता २४-८८सू०
, मंडलसंठिती २४-१९सू० ,केवतियं खेत्तं चंदिम० २४-२४सू० ,, चंदमग्गा
२४-४४० ।
,, मंडलाओ मंडलं २४-२२सू० । , ते एगमेगेणं २५-१८सू०
ARONA
Al॥४०॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183