Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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सूर्य/२३
औ०१९ रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥१४॥
जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७
एगा जोयणकोडी २७-१२०४ | एतेसि ० अभिई २५-१६०सू० एतेसिक देवाणं कायपरि० २२-३२९सू०1 एगा यहोह रयणी २२-१६५
२५-१५८सू० , नेर० वेदणा० २२ ३४२सू० पगावि सा समत्था २७-३४६
, कयरे २५-१५७सू० ,, पं० सं० पढमं २५-६८सू० एगाहेण तवस्सी २७-२३६८
ओरालिय० २२-२७९सू० भो! इत्थीणं २१-६३सू० पगिदियसरीरादी २२-२१९
२२-२७८सू० , जीवाणं २१-९८९० पार्गदियाणं० जीवा णाणी २२-२९६सू० ,, चंदिम० २५-१७०सू०
", राय
२१-६१सू० एगूरुयपरिक्खेवो २१-२५
२५-२६९सू० .. .. र० २१-२२४सू० एगे जंबुद्दीवे २७-१०७८
२१-२०७०
.., तिरिक्ख० २१-५१० एगो एगिथिए ૨-૮૦૨
२१-२००० पत्थ किर अतिवयंती २१-१४ एगो मे सासओ अप्पा २७-८९
२५-१७५सू० एत्थ पं० पच्छाणुताविए: २०-७६सू० एगोरुयदीवस्स २१-११२सू०
| पत्थ य मिनमुहुत्तो एगो वञ्चइ जीवो
२७-८८
छप्पण्णाए २४-६२सू० एयमवहाररासि २५-(५०७टी०) एगो विमाणवासी
जी० कोहसमु. २२-३४३सू० एयस्स चंदजोगो २७-२०२९ एगो सयंकडाई २७-१४५३ , , वेदणा० २२-३४८सू० पयं खु जरामरणं
२७-५२९ पतासि णं भंते ! तिरि० २१-५१सू० "सथभासगा०२२-१७५सू० |, पञ्चक्खाणं
२७-१३२ एतेसि f० अट्ठावीसाए २५-१५९सू० , सलेस्साणं २२-२१६सू०
२७-२४५ ,, अमिई० २५-१६१सू० । तिरिक्खजोणियाणं २२-२१८सू० , ,
२७-२७५
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॥१४॥
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