Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ३२ ॥ AAJANWAR जाहे य पावियव्वं होइ पत्तो 35 35 जिअलोयबंधुणो जिड़ो बद जिणमयभाविअ चित्तो जिणवयण अणुगया जिणवयगे अणुरत्ता जिणवयणनिच्छिअ० मई 37 जिणवयण म मणुगया मे जिणवयण मणुस्सा जिणवयणमप्पमेय " जीव गहई दियकाए २७-१६९४ २७-१८९४ २७-२३० २७-१०६ २७-६४८ २७-१८६५ जीवपरिणामे णं २७-२३१ जीववहो अप्पवहो २७-३६८ जीवस्स णं भंते! गम्भगयस्स २७-४सू० जीवस्स गं० मारणं० जीवाणं० कतिविधे २७-१५२४ २७-३१ २२-२७६ २२- २०३० जीवा गं० कतिहि ठाणेहिं २२-१९०सू० किं भासगा सकिरिया २७-२३२ २७-१५२५ २७-१५२३ २७-१७५२ २७-१७५६ २७-१५०८ २७-२१६ २२-२११ 35 23 35 35 " जीवे 37 33 39 23 35 39 " 31 95 " "" "" 95 29 " 35 www.kobatirth.org ?? " गब्भगए समाणे जाई० ताई अंतकिरिय किं आहारण 35 सच्च मणप्प०२२-२००सू० सणी सम्मदिट्ठी संजया २२-१८२सू० जीवे गं० जातिं दव्वाति २२ - १६८० जीवेत्ति कालओ २२-२३३८० णाणा० कम्मं० २२- २९१ सू० २२-२९२५० 35 २२- १६६सू० २२-२८१ सू० २२- ३१६सू० २२ - २५५० २२- ३१७० २२-२५६सू० २२- ३१०सू० २७-६० २२-१७२० २२-१६९० For Private and Personal Use Only 35 33 "" " 55 " " 25 39 23 33 " " " "" "" " 35 "" ** 37 21 "" 55 णाणावर णिजं णाणातिवापणं भंते !० उत्ताणए गतिचरमे 99 " गन्भगए .. " नरपसु वे उब्वियसमु० वेदणासमु० 37 35 जीसे तयाए भग्गाए जीसे 35 15 जीसे सालार कट्ठाओ " ०तणु० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२- २८३सू० २२-२८२० वा २७-१०० २२- १६०० २७-५सू० २७-९५० २७-८८० २२- ३४६८० २२- ३४५० २२-५९ २२-६९ २२--७९ २२-८३ सूर्य० | २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ३२ ॥

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