Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Jain Pustak Pracharak Samstha
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सू ये०१२३ चं०/२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ औ०१९/ कहि पं० उत्तरकराए जंबोढे २५-९१सू० | कहि पं० जंबु० सुकच्छे २५--९६सू० | कहि णं भंते ! उत्तरकराए २१-१५०स० रा० २०४ ,, , णील० २५-९०सू० ,,,,,, सोमणसे २५-९८सू० ,,, उतरिल्लाणं २१-१२०सू जी०२१ ,, जंबु० उत्तरडभरहे २५-१७सू० ,,,,, महाहिमवंते २५-८०सू० ,,, कालोयगाणं २१-१६६सू० प्रज्ञा०२२ ,, ,, उत्तरड २५-१६सू० ,, रम्मए २५-११२सू० ,,, जंबुद्दीव० २१-१६३सू० ॥१९॥ ., चुल्लहिम० २५-७३सू० ,, विजए णामं २५-८सू० , जंबुद्दीवे २५-३सू० णिसहे २५-८४सू० हेमवए २५-७७सू० जंबु०विजये २१-१३०सू० णीलवंते० २५-१११मू० ,,, हरिवासेल्वासे २५-८३सू० , जंबु० वेज० २१-१४५सू० ,, दीवे दाहिणद्धे २५-११मू० , जोइसियाणं २२-५०सू० , जोइसि० २१-१२३सू० ,, ,, भरहे० २५-१०म० देवकुराए चित्त० २५-९९सू० ,,, दाहिणिल्लाणं २१-११०सू० " " " २५-१२सू० ,,,, देव० कूडसामलि०२५-२०१० , दाहि० हयक० २१-११३सू० भारहे. वेअद्ध २५-१३मू० ,, देव० णिसढद्दहे. २५-१००० दीवसमुद्दा २१-१२४सू० , महा० कच्छे० २५-९४सू० ,, पिसायाण०२२-४८सू० , देवहीवगाणं २१-१६८० ,,,, चित्तकूडे, २५-९५सू० ,,, भंते ! अम्भितरलावणगाणं । ,, धायतिसंडदी०२१-१६५सू० ,, मंदरे० २५-१०४सू० २१-१६४० नागकुमाराणं २१-१२१सू० , विज्जु० २५-१०२० "", असुरकुमारा०२१-११८सू० , नेरइयाणं पज०२२-४२सू० , महाविदेहे २५-८६सू० |"", उत्तरकुराए २१-१४९सू० पंचिंदिय० २२-४४सू० .. महा०सीआए २५-९७सू० , , , , २१-१५२सू० । ,, बादरपुढवी० २२-३९सू० ॥ १० ॥ For Private and Personal Use Only

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