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साधुओं को कल्पता है, बिना दरवाजे वाले मकान में साध्वियों को ठहरना नहीं कल्पता, साधुओं को कल्पता है, साधु-साध्वी को चिलमिलिका (मच्छरदानी) रखनी कल्पती है, साधु-साध्वी को जलाशय के किनारे बैठना नहीं कल्पता, चित्र युक्त मकान में ठहरना नहीं कल्पता, साध्वियों को शय्यातर के संरक्षण में ठहरना चाहिए, साधुओं के लिए संरक्षण आवश्यक नहीं, साधु-साध्वियों को विरोधी राजा के राज्य में जाना नहीं कल्पता । इसी प्रकार रात्रि में आहार रखना विहार करना आदि का निषेध बतलाया है।
दूसरा उद्देशक - इस उद्देशक में बतलाया गया जिस उपाश्रय में धान (अनाज) बिखरा हुआ हो उसमें साधु साध्वियों को ठहरना नहीं कल्पता, जिस मकान की सीमा में मद्य के घड़े या अचित्त शीत-उष्ण जल के घड़े पड़े हो, अग्नि यां दीपक पूरी रात जलते हो, जिस मकान में खाद्य पदार्थ के बरतन इधर-उधर बिखरे पड़े हों, वहाँ साधु-साध्वियों को ठहरना नहीं कल्पता, असुरक्षित स्थानों पर साध्वियों को ठहरना नहीं कल्पता, अनेक व्यक्तियों के स्वामित्व के मकान में एक की आज्ञा को शय्यातर मानना, इसी प्रकार वस्त्र, रजोहरण आदि के कल्पाकल्प आदि का इसमें वर्णन किया गया है।
तीसरा उद्देशक - इस उद्देशक में साधु को साध्वियों के उपाश्रय और साध्वियों को साधु के उपाश्रय में सोना नहीं कल्पता, बहुमूल्य वस्त्र एवं अखण्ड थान साधु-साध्वियों को रखना नहीं कल्पता, साधु को लगोट जांघिया नहीं रखना चाहिए। साध्वी को ये उपकरण कल्पते हैं। दीक्षा ग्रहण करने समय साधु-साध्वी को वस्त्र, रजोहरण एवं आवश्यक उपकरण ग्रहण करना कल्पता है, चातुर्मास में साधु-साध्वी को वस्त्र ग्रहण करना नहीं कल्पता है, स्वस्थ साधु-साध्वी को गृहस्थ के घर बैठना नहीं कल्पता है, शय्यातर अथवा अन्य गृहस्थ
यहाँ से लाई कोई वस्तु विहार से पूर्व उसे लौटा देना चाहिए, साधु साध्वी जहाँ भी ठहरेहुए हैं उस मकान के मालिक से आज्ञा लेना आवश्यक है, नये आए हुए साधु-साध्वी पूर्वाज्ञा में ठहर सकते हैं, दीक्षा पर्याय के क्रम से वंदन व्यवहार, गृहस्थ के घर बैठकर चर्चा वार्ता करना साधु-साध्वी के लिए कल्पनीय नहीं है, इत्यादि विभिन्न विषयों का इसमें वर्णन है। 1
चौथा उद्देशक - इस उद्देशक में हस्त कर्म, मैथुन सेवन एवं रात्रि भोजन करने वाले साधु-साध्वी को अनुद्घातिक प्रायश्चित्त, क्रोध वश किसी साधु की घात करने, विषयासक्ति से साध्वी स्त्री आदि विषय सेवन करने एवं मदिरा आदि नशीली वस्तुओं के सेवन पर साधु
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