________________
जन्म : एक युग का
चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को इतिहास ने इतिहास रचाय प्रभु अये
निवल उठा माटी का एक-एक कण हना हो गया सूनवेपन का तृण-तृण
अधेमा भेंट रहा था वैमनस्य हट रहा था हिंसा, जहाँ भी थी, सहम गई नामकियों तक की वेदना थम गई, निर्धनों के हाथों में छा अई सौभाग्य-रेनवा, बंदियों ने मुक्ताकाश देलवा, देवी-देवताओं ने महोत्सव मनाये प्रभु अये
प्रकाश-पर्व : महावीर /26
For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org