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और भी अधिक जागे
साधना-पथ में न आयें बाधायें
इस उद्देश्य से धारण की
पाँच प्रतिज्ञायें
निंदा - स्तुति करने वालों के संग-साथ से
दूर रहना
सुरक्षित स्थान न चुनकर स्वयं को
पूर्णतः प्रकृति को सौंप देना
और ध्यान की नदी में बहना भिक्षा मांगने
5000
व मार्ग पूछने के अतिरिक्त सर्वथा मौन रहना
और
केवल कर पात्र में भोजन करना अपनी आवश्यकता पूर्ति हेतु कभी किसी को प्रसन्न करने का नहीं करना प्रयास
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पन्द्रह दिन आश्रम में
और शेष समय
एक वृक्ष के नीचे
यूं व्यतीत हुआ श्रमण महावीर का प्रथम वर्षावास ।
प्रकाश पर्व : महावीर / 75
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