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वह बॉबी से बाहर आया एक आदमी को अभय मुद्रा में मवड़े पाया चुनौती मिली अठकान को क्रोध चढा छोड़ दिया हत्यारी फूत्कार को
परन्तु महावीर जैसे थे फूत्कार सहकर भी वैसे के वैसे थे सर्प में
अहंकार और क्रोध का हो गया संयोग फिर उसने अचूक दृष्टि-विष का किया प्रयोग चण्डकौशिक हैरान मूर्च्छित होना तो ठून मष्ठावीन जना भी नहीं छुए परेशान
प्रकाश-पर्व : महावीर /85
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