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पूर्णत्व का परम शिरवर
सब अपने होने पर सार्थक हुए
भक ग्राम का सीमान्त प्रदेश श्यामक कृषक का नवेत शाल वृक्ष की छाँव ऋजुबालुका नदी का तीन वैशानव शुक्ला दशमी का दिवस
गोठासन में ध्यानस्थ महावीर पाँचों जनेद्रियों पर पूना बस सब कुछ पूर्णता के लक्ष्य से संबद्ध अन्तिम संकल्पअब अन्य कोई संकल्प नहीं करना पूर्णता मिलने तक इसी ध्यान में जीना-मलना
ज्ञान स्वयबुद्ध अंत:करण पूर्णत: विशुद्ध न महावन न सम्मति न वर्धमान ध्यान केवल शुक्ल ध्यान शुक्ल ध्यान शुक्ल ध्यान
अकाश का सूर्य होने चला अत मनुष्यता का सूर्य होने चला उदय चार धातिक कर्मे का
मूलत: क्षय
जन्म-जन्मांतर के कर्म नष्ट अत्मा निर्मळतम चर-अचर जग हस्तामलकवत् स्पष्ट
प्रकाश-पर्व : महावीर /113
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