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हाय ...! यह मुष्ट-प्रहार मेसा ॐा अा चीत्कार अगर हो गया ऐसा एक प्रहार और तो इस धरती पर कहाँ पाऊगा ठौर ?
मान गयामुझमें सम्पूर्ण सृष्टि का बल नहीं है
अधिक बलशाली तो यहीं है मैं क्या जानू बल का अर-छोन लो! मैं चला चुपचाप गजशाला की ओर
देलवो ! मेसी अनवों में शान्ति का नीर है। यह बालक वर्धमान नहीं यह तो अतिवीर है अति-वीर !
प्रकाश-पर्व : महावीर /47
ACHARYA SRI KAILASSAGARSURI GYANMANDIR
SA BAHAVIR JAIN ARADHANA KENDRA
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