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उस करूणा-वीर ने जो सोचा था वही किया
वही किया। सार्थकता की परम यात्रा 7
महावीर का
महाभिनिष्क्रमण देवों-मनुष्यों पशु-पक्षियों का महोत्सव
धरती ने नहीं देलवा था ऐसा जनसमुद्र अपार आसमान में भर गया था
महावीर का जय-जयकार
भाई नळीवर्धन, ঠিক মূহুমকি और चाचा सुपार्श्व छैनान थे देवकन वर्धमान का इतना बड़ा परिवार
इतनों को वर्धमान प्यावा है सभी कठ नठे हैं'वह उमाना है हमाना है
प्रकाश-पर्व : महावीर /60
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