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कभी भी कोई डरना नहीं चाहता तुण्ठानी ही तरह कोई भी जीव
कमी
मरना नहीं चाहता आज तुमने निरपराध पछी को घायल कर दिया कठो कहो अब क्या करोगे तुम ?"
चण्ड ने कहा पौरन"तोड़ दूंगा, नाजकुमार गुलेल तोड़ लूंगा और शिकार हमेशा के लिए छोड़ दूंगा"
प्रकाश-पर्व : महावीर /53
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