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सभी को जीने का अधिकार
वर्धमान ने एक कदम बढ़ाया एक निर्धन को समृद्धि मिली दूसना कदम बढ़ाया एक वस्त्रहीन को वस्त्र मिले तीसना बढ़ाया भनव ने व्यजन पाये चौथा अढाया मोगी तक पहुंचा स्वास्थ्य पाँचवाँ बढ़ाया अनाथ ने असना पाया
सबने चाठा-युगों-युगों तक बढ़ते ही जायें वर्धमान वन-विहान करते वर्धमान नखड़े हो गये एक पेड़ तले निहारने लगे प्रकृति की देन कि अकस्मात् पीड़ से चिंचियाता पेड़ से अ पड़ एक पंछ लहलकान
प्रकाश-पर्व : महावीर /51
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