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देवा पेड़ के ऊपर
बैठे बच्चों की धिग्धी बंध गई.
पके आमो की तरह टपक पड़े एक के बाद एक
मेरे अहंकार ने अट्टहास किया देवा वर्धमान को
वह मुझे लग रहा था
ल
मुझे
प्रकाश पर्व: महावीर / 35
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मुझे उसने पकड़ा पेड़ से बल छुड़ाये
एक हाथ से मुँह जकड़
दूसरे से पूछ
मेरा वजन अपने मानीन पर ओटा
मेरा
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