Book Title: Tirthankar Charitra Part 1
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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क्रमांक विषय पृष्ठ | क्रमांक विषय
पृष्ठ भ० चन्द्रप्रभः स्वामी १८८ भ० विमलनाथजी २४९ ९. धर्मदेशना--अशुचि भावना १८९ | १०८ स्वयंभू वासुदेव चरित्र
२५० भ० सुविधिनाथजी
१०९ धर्मदेशना-बोधि-दुर्लभ भावना २५३ ९१ धर्मदेशना--आस्रव भावना १९२
भ० अनंतनाथजी २५७ ६२ धर्म विच्छेद और असंयती-पूजा १९७ ११० वासुदेव चरित्र
२५८
--तत्त्व निरूपण भ० शीतलनाथजी
२६१ ११२ गुणस्थान स्वरूप
२६४ ६३ धर्मदेशना--संवर भावना
भ० धर्मनाथजी २७० भ० श्रेयांसनाथजी
| ११३ वासुदेव चरित्र ९४ धर्मदेशना---निर्जरा भावना २०४
| ११४ धर्म देशना--क्रोध कषाय को ९५ त्रिपृष्ट वासुदेव चरित्र
नष्ट करने की प्रेरणा
२७५ ६६ अश्वग्रीव का होने वाला शत्रु २१३ । ११५ मान-कषाय का स्वरूप
२७८ ९७ सिंह-घात
११६ माया-कषाय का स्वरूप
२८० ६८ त्रिपृष्टकुमार के लग्न
११७ लोभ-कषाय का स्वरूप २८३ ९९ पत्नी की माँग | ११८ चक्रवर्ती मघवा
२८७ १०० प्रथम पराजय २२४ / ११९ चक्रवर्ती सनत्कुमार
२८८ १०१ मंत्री का सत्परामर्श
। १२० सनत्कुमार चक्रवर्ती का १०२ अपशकुन
अलौकिक रूप
२९६ १०३ अश्वग्रीव का भयंकर युद्ध
भ० शान्तिनाथजी ३०१ और मृत्यु
२२७ १०४ त्रिपृष्ट की क्रूरता और मृत्यु २३४ |
१२१ दासीपुत्र कपिल
३०१
१२२ इन्दुसेन और बिन्दुसेन का युद्ध भ० वासपज्यजी २३६ | १२३ भविष्य-वाणी
३०७ १०५ विवाह नहीं करूँगा २३७ / १२४ सुतारा का हरण १०६ द्विपृष्ट वासुदेव चरित्र २३८ १२५ वासुदेव अनन्तवीर्यजी १०७ धर्मदेशना-धर्मदुर्लभ-भावना २४२ । १२६ नारद लीला निमित्त बनी। ३१७
२१८ २२० ।
२२५
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