Book Title: Tirthankar Charitra Part 1
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 12
________________ ( ११) ww २०३ २०६ क्रमांक विषय पृष्ठ | क्रमांक विषय पृष्ठ भ० चन्द्रप्रभः स्वामी १८८ भ० विमलनाथजी २४९ ९. धर्मदेशना--अशुचि भावना १८९ | १०८ स्वयंभू वासुदेव चरित्र २५० भ० सुविधिनाथजी १०९ धर्मदेशना-बोधि-दुर्लभ भावना २५३ ९१ धर्मदेशना--आस्रव भावना १९२ भ० अनंतनाथजी २५७ ६२ धर्म विच्छेद और असंयती-पूजा १९७ ११० वासुदेव चरित्र २५८ --तत्त्व निरूपण भ० शीतलनाथजी २६१ ११२ गुणस्थान स्वरूप २६४ ६३ धर्मदेशना--संवर भावना भ० धर्मनाथजी २७० भ० श्रेयांसनाथजी | ११३ वासुदेव चरित्र ९४ धर्मदेशना---निर्जरा भावना २०४ | ११४ धर्म देशना--क्रोध कषाय को ९५ त्रिपृष्ट वासुदेव चरित्र नष्ट करने की प्रेरणा २७५ ६६ अश्वग्रीव का होने वाला शत्रु २१३ । ११५ मान-कषाय का स्वरूप २७८ ९७ सिंह-घात ११६ माया-कषाय का स्वरूप २८० ६८ त्रिपृष्टकुमार के लग्न ११७ लोभ-कषाय का स्वरूप २८३ ९९ पत्नी की माँग | ११८ चक्रवर्ती मघवा २८७ १०० प्रथम पराजय २२४ / ११९ चक्रवर्ती सनत्कुमार २८८ १०१ मंत्री का सत्परामर्श । १२० सनत्कुमार चक्रवर्ती का १०२ अपशकुन अलौकिक रूप २९६ १०३ अश्वग्रीव का भयंकर युद्ध भ० शान्तिनाथजी ३०१ और मृत्यु २२७ १०४ त्रिपृष्ट की क्रूरता और मृत्यु २३४ | १२१ दासीपुत्र कपिल ३०१ १२२ इन्दुसेन और बिन्दुसेन का युद्ध भ० वासपज्यजी २३६ | १२३ भविष्य-वाणी ३०७ १०५ विवाह नहीं करूँगा २३७ / १२४ सुतारा का हरण १०६ द्विपृष्ट वासुदेव चरित्र २३८ १२५ वासुदेव अनन्तवीर्यजी १०७ धर्मदेशना-धर्मदुर्लभ-भावना २४२ । १२६ नारद लीला निमित्त बनी। ३१७ २१८ २२० । २२५ mr m mr m Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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