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६०. षट्कारकमयी आत्मा का नाम ही ध्यान है। ६१. ध्यान की सामग्री ६२. मन को जीत लेने पर इन्द्रियों की विजय ६३. ज्ञान और वैराग्य के द्वारा इन्द्रियों की विजय ६४. चंचल मन का नियंत्रण ६५. मन को जीतने के उपाय ६६. पञ्चनमस्कार मंत्र जाप एवं शास्त्रों का पठन
पाठन स्वाध्याय ६७. ध्यान और स्वाध्याय से परमात्मा का ज्ञान ६८. पञ्चमकाल में ध्यान न मानने वाले अज्ञानी ७०. पञ्चमकाल में शुक्लध्यान का निषेध श्रेणी के पूर्व
धर्मध्यान का कथन ७१. वज्रवृषभनाराचसंहननी के ही ध्यान का कथन
शुक्लध्यान को अपेक्षा से ७२. शक्त्यनुसार धर्म्यध्यान करणीय ७३. शक्त्यनुसार तप धारणीय ७४. गुरूपदेश से ध्यानाभ्यास ७५. अभ्यास से ध्यान की स्थिरता ७६. परिकर्म के आश्रय से ध्यानकरणीय ७७. ध्यान करने योग्य स्थान-काल विधि व पदार्थ ७८. निश्चय व व्यवहार ध्यान ७९. निश्चय ध्यान आत्मा से अभिन्न और व्यवहार
ध्यान भिन्न ८०. ध्येय के भेद ८१. ध्येय के भेदों का स्वरूप ८२. नामध्येय का स्वरूप ८३. असिआउसा का ध्यान ८४. अ इ उ ए ओ मंत्रों का ध्यान ८५. सप्ताक्षरों का ध्यान ८६. अरहंत नाम का ध्यान ८७. अ से ह पर्यन्त अक्षरों का ध्यान ८८. स्थापना ध्येय का स्वरूप ८९. द्रव्य नामक ध्येय का स्वरूप
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