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तत्त्वानुशासन
'णमो सिटाणं
णमा
लोए सव्व
साहूणं
णमो अरहताणं
रियाणं आइ
णमो
118-00
हृदय में चार पांखुड़ी का कमल बनाइये। पश्चात् प्रत्येक मन्त्रोच्चारण के साथ उस-उस पंखुड़ी में स्थित उन-उन परमेष्ठी की ओर दृष्टि लगाइये। पंचपरमेष्ठियों को इनमें विराजमान कर जाप्य कोजिये।
मूल मन्त्रों की कमलों में स्थापना विधि
१. स्वर्ण कमल की मध्य कर्णिका में "ह" की स्थापना करके उसका स्मरण करना चाहिये।
२. चतुदल कमल को कणिका में असा तथा चारों पत्तों पर क्रम से अ सि आ उ सा की स्थापना करके पंचाक्षरी मंत्र का चितन करे।
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