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तत्त्वानुशासन
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अर्थ- दोनों लोकों में फलदायक, अपने मण्डल में प्राप्त हुए अकार से शक्ति सम्पन्न मन्त्रों का ध्यान
हकार तक के अक्षरों वाले परम करे ॥ १०७ ॥
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नाभिकमल में सोलह स्वरों का ध्यान
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