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तत्त्वानुशासन ललाट पर खींचने वाली रेखाओं के आधार पर और योग के आचार्य चैतन्य केन्द्रों के आधार पर नौ ग्रहों का ज्ञान कर लेते हैं। नौ ग्रहों का शरीर में स्थान-तैजस केन्द्र सूर्य का स्थान है, विशुद्धि केन्द्र चन्द्रमा का स्थान है। ज्योतिषी चन्द्रमा के माध्यम से मन की स्थिति को पढ़ता है। चन्द्रमा और मन का सम्बन्ध है । जैसी स्थिति चन्द्रमा की होती है वैसी ही स्थिति मन को होतो है । अतः मन का स्थान चन्द्रमा का स्थान है।
णमो आइरियाणं-का ध्यान विशुद्धि केन्द्र पर पीले रंग से करें। यह चैतन्य केन्द्र हमारी भावनाओं का नियामक है। तैजस केन्द्र वृत्तियों को उभारता है और विशद्धि केन्द्र उन पर नियंत्रण करता है। रंग के साथ इस केन्द्र पर आचार्य का ध्यान करने पर हमारी वत्तियाँ शान्त होती हैं । वे पवित्रता की दशा में सक्रिय बनती हैं। विशुद्धि केन्द्र पवित्रता संवृद्धि करने वाला होता है । यहाँ मन निर्मल व पवित्र होता है ।
मनरूपकमल
- णमो णमा
चन्द्रस्थान (पीतवर्णी विशुद्धि केन्द्र
आइरियाणं जमा
णमो णमो
णमो पासोमो
णमो णमो मा
आइरियाणम
र
पीतवर्ण
चन्द्र स्थान (विशुद्धि केन्द्र)
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