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तत्त्वानुशासन
भूत २४ तीर्थ
पञ्चपरमेष्ठी
15PERI
वर्तमान २४ तीर्थकर
S
Ofeciple
भूतकालीन २४ तीर्थंकरों के–२४ वर्तमान कालीन २४ ती०-२४ भविष्यत्काल २४ ती०-२४
धर्म के १०-१०
भावना १६-१६ पाँच महाव्रत के-५ पाँच परमेष्ठी के-५
= १०८
इस प्रकार जाप्य से पदस्थ ध्यान की सिद्धि होती है।
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