Book Title: Suttanipato
Author(s): Jagdish Kashyap
Publisher: Uttam Bhikkhu

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Page 17
________________ श६ ] पराभव-सुत्तं [ ११ इति हेतं विजानाम दुतियो सो पराभवो। ततियं भगवा ब्रूहि किं पराभवतो मुखं ॥५।। निद्दासीली सभासीली अनुट्ठाता च यो नरो। अलसो कोधपचाणो तं पराभवतो मुखं ॥६।। इति हेतं विजानाम ततियो सो पराभवो। चतुत्थं भगवा ब्रूहि किं पराभवतो मुखं ॥७॥ यो मातरं वा पितरं वा जिण्णकं गतयोब्बनं पह' सन्तो न भरति तं पराभवतो मुखं ।।८।। इति हेतं विजानाम चतुत्थो सो पराभवो। पञ्चमं भगवा ब्रूहि किं पराभवतो मुखं ॥९॥ यो ब्राह्मणं वा समणं वा अझं वा पि वनिब्बकं । मुसावादेन वञ्चेति तं पराभवतो मुखं ॥१०॥ इति हेतं विजानाम पञ्चमो सो पराभवो। छट्ठमं भगवा ब्रूहि कि पराभवतो मुखं ॥११॥ पहूतवित्तो पुरिसो सहिरो सभोजनो। एको भुञ्जति सानि तं पराभवतो मुखं ॥१२।। इति हेतं विजानाम छट्ठमो सो पराभवो। सत्तमं भगवा ब्रूहि किं पराभवतो मुखं ॥१३॥ जातित्थद्धो धनत्थद्धो गोत्तत्थद्धो च यो नरो। सं जाति अतिम ति तं पराभवतो मुखं ॥१४॥ इति हेतं विजानाम सत्तमो सो पराभवो । अट्ठमं भगवा ब्रूहि किं पराभवतो मुखं ॥१५॥ इत्थिधुत्तो सुराधुत्तो अक्खधुत्तो च यो नरो। लद्धं लद्धं विनासेति तं पराभवतो मुखं ॥१६॥ . इति हेतं विजानाम अट्ठमो सो पराभवो। नवमं भगवा ब्रूहि कि पराभवतो मुखं ॥१७॥ सेहि दारेहिऽसन्तुट्रो' वेसियासु पदिस्सति । दिस्सति परदारेसु तं पराभवतो मुखं ॥१८॥ इति हेतं विजानाम नवमो सो पराभवो। दसमं भगवा ब्रूहि किं पराभवतो मुखं ॥१९॥ ' R. पहू. २ M. वारेहय. C. °संतुट्ठो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara Surat www.umaragyanbhandar.com

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