Book Title: Stree Nirvan Kevalibhukti Prakarane Tika
Author(s): Shaktayanacharya, Jambuvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 9
________________ सन्दर्भग्रन्थसूचिः सडकेतसूचिश्च प्रन्थनामानि उत्तराध्ययनसूत्र-बृहद्वृत्ति ओपनि० = ओपनियुक्ति चउप्पन्नमहापुरिसचरियं जीवसमास प्रकाशकसंस्थाविकम् देवचंद लालबाई पुस्तकोसारफंड, सुरत आगमोदयसमिति, सुरत प्राकृत टेष्ट सोसायटी जैन साहित्य और इतिहास जैन साहित्य संशोधक [खंड २, अंक ४ परिशिष्ट] [लेखक - नाथूराम प्रेमी] हीन्दी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, बम्बई ईस्वीसन १९२४ पुना देवचंद लालभाई जैन पुस्तकोबार फंड, सुरत तत्त्वार्थ तत्त्वार्थभाष्य तत्त्वार्थराजवातिक दशव०=दशवकालिकसूत्र भारतीयज्ञानपीठ, काशी आगमोदय समिति, सुरत सन्मति ज्ञानपीठ, मागरा माणिक्यचंद्र दिवम्बर जैन ग्रन्थमाला सिंघी जैन प्रथमाला नन्दीसूत्रवृत्ति [मलयगिरिविरचित] निशीषभाष्य न्यायकुमुदचन्द्र न्यावावतारवातिकवृत्ति पञ्चसं० = पञ्चसङ्ग्रह [दिगम्बर] पा०=पाणिनिव्याकरणम् प्रज्ञापनासूत्रवृत्ति [मलयगिरिविरचिता] प्रमाणनयतत्त्वालोक प्रमाणवा०प्रमाणवार्तिकम् आगमोदय समिति, सुरत बौद्ध भारती, वाराणसी प्रवच०-प्रवचनसारः " तत्त्वदीपिकावृत्ति प्रशम० = प्रशमरतिप्रकरणम् बृहट्टिप्पणिका [जैन साहित्य संशोधक, खंड १ अंक २] बृहत्कल्पसूत्र भाष्य " टीका बृहत्संग्रहणी [जिनभद्रगणिक्षमाश्रमणविरचिता], ईस्वीसन १९२५, पुना जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर जैन आत्मानद सभा, भावनगर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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