________________ स्त्रीचरित्र. E mainemam छन्द, काव्य, अलंकारप्रभृति, इसकी लतायें हैं; पाठइसकी मूल है; ब्रह्मविद्या इसका शिखर है, लिखना इसका सार है, अभ्यास इसका वल्कल है, असंख्य वस्तुयें इसके पत्र है, ज्ञान इसका फल है और संस्कृत, बंगाली, हिन्दी, मराठी, गुजराती, अरबी,फारसी, अंग्रेजी, ग्रीक, लाटिन, हिब्रू इत्यादि भाषा इसकी जाति है. जबतक मनुष्य इस विटपके शाखाओं पर्यन्त आरोहण नहीं करता, तबतक इसका फल इसे क्यों कर प्राप्त होसकता है ? इस संसाररूप वनमें कामादि व्यालोंसे बचनेका उपाय विद्यारूप उच्च वृक्षही है, जिस ज्ञानसे कामादिकोंका दमन होताहै, वह ज्ञान विद्यासेही प्राप्त होताहै. इसकारण क्या स्त्री, क्या पुरुष सबको विद्योपार्जन करना चाहिये. बहुत लोग यह समझते हैं कि, विद्या सीखना केवल जीविकाके निमित्त है, यह उनकी भूल हैजीविका चाहे इसका आनुषंगिक फल हो, परन्तु मुख्य फल इसका ज्ञानप्राप्तिही है, यदि कोई प्रश्न करे किविद्याका जितना विस्तार आपने वर्णन किया, उतना सीखनेका कन्याओंको अवसर कहाँ है ? तो उनको PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust