Book Title: Stree Charitra Part 01
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ भाषाटीकासहित. विद्यासाधितया नारी भूषयाऽलंकृता यदा // तदा विभूषितां मन्ये नतु हेना विभूषितामा __ अर्थ-जब जो स्त्री विद्यारूपीरत्नसे अलंकृत होती है तब उसको रत्नोंसे विभूषितं मानना. सुवर्णके आभूषणोंसे विभूषित स्त्रीको शोभावाली नहीं जानना // 1 // और जो लोग यह समझते हैं कि स्त्रियों के शरीरमें रिपु बलवान हैं, उनको विद्यासे औरभी सहायता प्राप्त होगी. यह समझना बड़ा भ्रम है. ऐसे लोग केवल चिट्ठी पत्री लिखनेकी सामर्थ्यको विद्या समझते है. यद्यति इतने अभ्याससेभी कुछ सांसारिक सहायता होती है, तथापि इसको प्रकृत विद्योपार्जन नहीं कहसकते. जबतक सत् असत्का विवेक न हो, धर्माधर्मका परिज्ञान न हे, आत्मा सांसारिक तुच्छ भावोंसे विमुक्त न हो, तबतक उसको विद्याप्राप्त नहीं कहसकते. विद्यारूपी वृक्ष सबसे ऊंचा है. इस वृक्षका व्याकरण स्कंध है, भूगोल, खगोल, और देश, लोक, व राज्यवृत्तान्त, स्मृति, दर्शन, पुराण, शास्त्र, चिकित्सा, शिल्पविद्या, अर्थविद्या, अंकविद्या, पदार्थविद्या, प्राणिविद्या, इत्यादि इस वृक्षकी शाखायें हैं P.P: Ac. Gunratnasuri M:S. Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 205