Book Title: Sramana 1997 01
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 14
________________ तनाव : कारण एवं निवारण (V) आत्मीकरण (Identification ) - व्यक्ति इस विधि में किसी महान् पुरुष, अभिनेता, राजनीतिज्ञ आदि के साथ एक हो जाने का अनुभव करता है। बालक अपने पिता से व बालिका अपनी माता से तादात्म्य स्थापित करके उनके कार्यों का अनुकरण कर प्रसन्न होते हैं, जिससे उनका तनाव कम हो जाता है। (VI) निर्भरता (Dependence ) — तनावों को कम करने के लिए व्यक्ति अपने आपको किसी दूसरे पर निर्भर कर अपने पूर्ण जीवन का दायित्व उसे सौंप देता है। जिस प्रकार व्यक्ति महात्माओं के शिष्य बनकर उनके आदेशों व उपदेशों का पालन कर जीवन-यापन करते हैं। ११ ' (VII) औचित्य स्थापन ( Rationalisation ) - व्यक्ति वास्तविक कारण न बताकर ऐसे कारण बताता है जो अस्वीकारे न जायँ और इसप्रकार वह अपने कार्य के औचित्य को सिद्ध करता है। जिसप्रकार देर से आफिस आने पर व्यक्ति सही बात न बताकर बस नहीं मिलने या ट्रेफिक जाम की बात कहता है । ★ (VIII) दमन (Repression ) - इसमें व्यक्ति तनाव कम करने के लिए अपनी इच्छा का दमन कर देता है। (IX) प्रक्षेपण (Projection ) — व्यक्ति अपने दोष को दूसरे पर आरोपित कर तनाव कम कर लेते हैं। जैसे मिस्त्री द्वारा बनाये गये मकान की दीवार यदि ढह जाती है तो वह कहता है कि सीमेन्ट ही खराब था । (X) क्षतिपूर्ति (Compensation ) - एक क्षेत्र की कमी को उसी क्षेत्र में या दूसरे क्षेत्र में पूरा करके व्यक्ति अपने तनाव को कम कर लेता है। जैसे— पढ़ने-लिखने में कमजोर बालक रात-दिन मेहनत करके अच्छा छात्र बन जाता है या खेलकूद में ध्यान देकर उसमें यश प्राप्त कर लेता है। अध्यात्म द्वारा तनाव मुक्ति भौतिक विकास के फलस्वरूप उत्पन्न तनावों से त्रस्त मानव आज अध्यात्म की ओर अग्रसर हो रहा है। अब वह जान रहा है कि अध्यात्म अर्थात् धर्म की शरण में ही शांति संभव है। आज वैज्ञानिक विकास पर अध्यात्म का नियन्त्रण आवश्यक है । ३२ धर्म में रत रहकर या अध्यात्म साधना द्वारा तनाव मुक्त हुआ जा सकता है। कहा भी गया है- 'एको धम्मो ताणं- अर्थात् एकमात्र धर्म ही तिराने वाला है । ३३ आत्मसन्तोष एवं आत्मजागृति द्वारा तनावमुक्ति लोभ का त्याग किये बिना संतोष की प्राप्ति नहीं हो सकती है और सन्तोष ही शान्ति का एकमात्र उपाय है। कहा भी गया है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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