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(७९) शक्ति पंख में आते ही, उड़ जाता बाल विहग
(८३) सच सकल पर झूठ हैं आधे अधूरे सब!
(८०) शर अवक्र घायल करे, वक्र तंबूरा शांत!
(८४) सदा जागते सजग आत्मविद्, सोते अज्ञानी
(८१) शिशु चिड़िया को मोह रहा कब फूटे अंडे से!
(८५)
सबको तोलो आत्मतुला से, मत पालो संशय
(८२) संतुलित है तुला की डंडी, कभी झुकती नहीं
(८६) सबको मीठी नींद मिली, वंचित रहा दरिद्र
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