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श्रमण/जनवरी-मार्च/१९९७
'जिनागमों की मूल भाषा' राष्ट्रीय संगोष्ठी अहमदाबाद, २७-२८ अप्रैल,१९९७, प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, प्राकृत विद्या मण्डल और प्राकृत जैन विद्या विकास फंड के संयुक्त तत्वावधान में "जिनागमों की मूल भाषा" सम्बन्धी एक राष्ट्रीय स्तर की विद्वत् संगोष्ठी का आयोजन आचार्य श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वरजी एवं उनके विद्वान् शिष्य आचार्य श्री विजयशीलचन्द्र सूरि जी के आशीर्वाद एवं उनकी ही पावन निश्रा में रविवार-सोमवार, शीर्षस्थ २७-२८ अप्रैल, १९९७ को (जैन उपाश्रय-व्याख्यान हॉल, श्री हठीसिंह की वाडी, शाहीबाग रोड, अहमदाबाद-३५०००४ में) किया जा रहा है जिसमें प्राकृत के नामांकि विद्वानों द्वारा विषय के विविध पहलुओं पर शोध-पत्र प्रस्तुत किये जाएंगे और उन पर चर्चा की जाएगी। उसी अवसर पर डॉ०के० आर० चन्द्र द्वारा भाषिक दृष्टि से पुनः सम्पादित “आचारांग : प्रथम अध्ययन'' का विमोचन विद्वद्वर्य पं० श्री दलसुख भाई मालवणिया के कर-कमलों द्वारा किया जाएगा।
शोक समाचार प्रसिद्ध इतिहासविद् प्रोफेसर आर०एन०मेहता दिवंगत
प्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक पुरातत्त्ववेत्ता एवं गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो० आर०एन० मेहता का पिछले दिनों बडोदरा में निधन हो गया। आप अहमदाबाद स्थित साराभाई संग्रहालय सहित राष्ट्रीय पुरातात्त्विक समिति से भी सम्बद्ध रहे। पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार प्रो० मेहता के निधन पर उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
डॉ० सुभाष कोठारी को पितृशोक
प्राकृत भाषा के युवा विद्वान, आगम, अहिंसा एवं समता संस्थान, उदयपुर के पूर्व प्रभारी, डॉ० सुभाष कोठारी के पूज्य पिता, साधुमार्गीय जैन श्रावक संघ, उदयपुर, के अग्रणी सुश्रावक श्री जीवनलाल जी कोठारी का २६ फरवरी, १९९७ को निधन हो गया। स्वभाव से अत्यन्त मृदु श्री कोठारी शासकीय सेवा में रहते हुए भी धार्मिक अध्ययन में सदैव रुचि लेते रहे। इनका पूरा परिवार धार्मिक संस्कारों से ओत-प्रोत है। इनकी एक पुत्री आचार्य श्री नानालाल जी म० सा० के
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