Book Title: Sramana 1997 01
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 123
________________ १२० : श्रमण/जनवरी-मार्च/१९९७ प्रो० डॉ० प्रेमसुमन जैन का हार्दिक अभिनन्दन जैन विद्या और प्राकृत भाषा के विश्वविख्यात् विद्वान् एवं सुखाड़िया विश्वविद्यालय, .. उदयपुर के जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के अध्यक्ष डॉ०प्रेमसुमन जैन जनवरी १९९७ से प्रोफेसर एवं कलामहाविद्यालय के डीन के रूप में प्रोत्रत किये गये हैं। प्रो०प्रेमसुमन जैन की इस अकादमिक उपलब्धि पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार उनका हार्दिक अभिनन्दन करता है। अर्हत्वचन पुरस्कारों की घोषणा जैनविद्या की प्रतिष्ठित शोधपत्रिका अर्हत्वचन के वर्ष १९९६ के चारों अंकों में प्रकाशित लेखों में से तीन लेखों- "निमित्त तथा उसका वैज्ञानिक निरूपण", लेखक-डॉ० अनिल कुमार जैन, उपनिदेशक-तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, अहमदाबाद; "Jain Relativism and theory of relativity: By Dr. N.L. Jain, Rewa; "विज्ञान और जैनागम के सन्दर्भ में-सूक्ष्म पदार्थ क्या है— डॉ०महावीर राज गोलरा, जयपुर को क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कारों के लिये चयनित किया गया है। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ द्वारा प्रवर्तित इन पुरस्कारों की राशि, प्रशस्तिपत्र, स्मृतिचिह्न और श्रीफल जैनविद्या की आगामी संगोष्ठी के अवसर पर उक्त विद्वानों को प्रदान की जायेगी। पार्श्वनाथ विद्यापीठ की ओर से उक्त विद्वानों को हार्दिक बधाई। बीना १९-२० फरवरी : अनेकान्त ज्ञान मन्दिर, बीना, मध्यप्रदेश का पंचम स्थापना दिवस समारोह दो दिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी के रूप में सम्पन्न हुआ। संगोष्ठी का प्रारम्भ १९ फरवरी को अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के रूप में हुआ। २० फरवरी को "जैन पाण्डुलिपियों के महत्त्व और विकास" पर विद्वानों ने चर्चा की। इस अवसर पर इतिहासरत्न डॉ०कस्तूरचन्द्र कासलीवाल, डॉ० कुन्दनलाल जैन आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। यह संगोष्ठी ब्रह्मचारी संदीप जैन के सानिध्य एवं श्री निहालचन्द जी जैन के संयोजकत्व में आयोजित की गयी थी। श्रीचिन्तामणितीर्थ हरिद्वार की द्वितीय वर्षगांठ सम्पन्न १२ फरवरी : आचार्य श्री पद्मसागर जी महाराज द्वारा हरिद्वार में स्थापित चिन्तामणितीर्थ की द्वितीय वर्षगांठ, १२-२-९७ को साध्वी रत्नशीला जी ठाणा ३ के सानिध्य में सोल्लास मानाया गया। यात्रियों को यहाँ पर आवश्यक सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से एक नूतन धर्मशाला का भी निर्माण कार्य शीघ्र प्रारम्भ हो रहा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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