Book Title: Sramana 1997 01
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 122
________________ जैन जगत् : ११९ ६. चंदावेज्झयंपइण्णयं (चन्द्रवेध्यकप्रकीर्णक), संपा०-प्रो० सागरमल जैन, अनु० डॉ० सुरेश सिसोदिया, प्रकाशनवर्ष १९९१, मूल्य-३५ रुपये। ७. महापच्चक्खाणपइण्णयं (महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक), संपा-प्रो० सागरमल जैन, अनु०-डॉ.सुरेश सिसोदिया, प्रकाशनवर्ष १९९२ई०, मूल्य-३५ रुपये। ८. दीवसागरपण्णत्तिपडण्णयं (द्वीपसागरप्रज्ञप्तिप्रकीर्णक), संपा०-प्रो० सागरमल जैन, अनु०-डॉ० सुरेश सिसोदिया, प्रकाशनवर्ष १९९३, मूल्य-४० रुपये। ९. जैनधर्म के सम्प्रदाय, ले०-डॉ० सुरेश सिसोदिया, प्रकाशनवर्ष १९९४, मूल्य-८०रुपये। १०. गणिविज्जा पइण्णयं (गणिविद्या प्रकीर्णक), संपा०-प्रो०सागरमलजैन, अनु०-डॉ०सुरेश सिसोदिया, प्रकाशनवर्ष १९९४, मूल्य-२५ रुपये। ११. गच्छायारपइण्णयं (गच्छाचारप्रकीर्णक), संपा०-प्रो०सागरमलजैन, अनु०-डॉ०सुरेश सिसोदिया, प्रकाशनवर्ष १९९४, मूल्य-४० रुपये। १२. वीरत्थओ पइण्णयं (वीरस्तव प्रकीर्णक), संपा०-प्रो० सागरमलजैन, अनु०-डॉ० सुभाष कोठारी, प्रकाशनवर्ष १९९५, मूल्य-२० रुपये। १३. संयारग पइण्णय (संस्तारक प्रकीर्णक), संपा०-प्रो०सागरमलजैन, अनु०-डॉ० सुरेश सिसोदिया, प्रकाशनवर्ष १९९५, मूल्य-५० रुपये। १४. प्रकीर्णक साहित्य मनन और मीमांसा, संपा०-प्रो० सागरमल जैन, एवं डॉ० सुरेश सिसोदिया, प्रकाशनवर्ष १९९५, मूल्य-१०० रुपये। १५. प्राकृत व्याकरण, संपा०-प्रो० सागरमल जैन, अनु०-डॉ० उदयचन्द्र जैन एवं डॉ० सुरेश सिसोदिया, प्रकाशन वर्ष ११९७, मूल्य-७० रुपये। संस्थान के प्रकाशनाधीन ग्रन्थों की सूची १. चतुःशरणप्रकीर्णक, २. सारावलीप्रकीर्णक और ३. भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक। संस्थान की योजना को सभी विद्वानों ने सराहते हुए इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है। प्रो० सागरमल जैन के कुशल निर्देशन, डॉ.सुरेश सिसोदिया, डॉ. सुधा खाब्या और श्री मानमल कुदाल के कुशल नेतृत्व में यह शोध संस्थान इसी प्रकार आगे भी प्रगति करते हुए अन्य संस्थाओं के दिशानिर्देश का कार्य करेगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org .

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