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(६३) मार सका जो खुद को, वो अमर हुआ समझो!
(६७) मृत्यु भय से मुक्ति पाओ, सार्थक जीवन जियो
(६४) मिल-जुल के रहते हैं कषाय मौसेरे भाई
(६८) मृत्यु हेतु तो कोई भी क्षण नहीं अनवसर!
(६५) मुक्त हुआ वो पार किया जिसने दलदल को
(६९) मेघ रीतते, इसीलिए तो फिरफिर भरते!
(६६) मृत्यु नींद है, जागना है नींद से जीवन, अहो!
(७०)
मैत्री भाव को अभिव्यक्ति देना, है क्षमा करना
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