Book Title: Sramana 1997 01
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 22
________________ तनाव : कारण एवं निवारण तत्त्वार्थसूत्र, पं सुखलाल संघवी, वाराणसी,९/३६। २७. Charlesworth and Northan, Stress Management, Page 20. २८. आचार्य तुलसी, नन्दन निकुंज, आदर्श साहित्य संघ चुरु, पृष्ठ-२५४। २९. Gates and others, Educational Psychology, Page 692. 30. Direct methods are typically employed to solve a particular adjust ment problem once and for all, Ibid. ३१. Indirect methods areemployed solely for the alleviation of unplesant tension. Ibid. ३२. साध्वी कनकप्रभा, महावीर, व्यक्तित्व और विचार, चुरु । ३३. उत्तराध्ययनसूत्र, साध्वी श्री चन्दना, आगरा, १४/४० । ३४. श्री योगीराज डॉ०बोधायन, ध्यान योग से तनाव मुक्ति, पृष्ठ २० । ३५. अप्पाकत्ता विकत्ता य, सुहाण य दुहाण य। अप्पा मित्तममित्तं च, दुप्पट्ठिय सुप्पट्ठिओ ।। उत्तराध्ययनसूत्र, साध्वी श्री चन्दना, आगरा, २०/३७। ३६. जे आया से विण्णया। जे विण्णाया से आया । आचारांगसूत्र, (प्रथम श्रुतस्कन्ध), युवाचार्य मधुकर मुनि, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, प्रथम संस्करण १९८० ई० सन्, ५/६/१७१ । ३७. जे एगं जाणइ - से सव्वं जाणइ। वही, ३/४/१२९। ३८. अप्पा विय परमप्पा। भावपाहुड़, आचार्य कुन्दकुन्द।। ३९. चित्तस्सेगया हवइ झाणं। आवश्यक नियुक्ति, हरिभद्र सूरि, श्री भेरूलाल कनैयालाल कोठारी धार्मिक ट्रस्ट, बम्बई, प्रथम संस्करण विक्रम संवत् २०३८, १४६३, पृष्ठ १८८।। ध्यान तु विषये तस्मित्रेकप्रत्यय सन्तति। पं० हरगोविन्द शास्त्री, अभिधान चिंतामणि, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, प्रथम संस्करण १९६४ ई०, १/८४। ४०. श्रीचन्द सुराणा 'सरस', ध्यान योग : रूप और दर्शन, जयपुर, पृष्ठ २२ । ४१. योगश्चित्तवृत्ति निरोधः । ब्रह्मलीन मुनि, पातंजलयोग दर्शन, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी चतुर्थ संस्करण १९९०ई०सन्, १/२। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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