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(७) आज्ञा पालन नहीं करे जो, मुनि दरिद्र होता
(११)
काम न आया जन-धन संग्रह काल आखिरी
(८) एक-दूसरे पर निर्भर हम अंधे-लंगड़े
(१२) कितनी मौतें भोगी मैंने, जीवन एक इसी में!
(९)
कर लालच धंसता-दलदल में प्यासा हाथी
(१३)
कृतज्ञ-भाव को जिंदा रक्खो, जल्दी मर जाता है
(१०) काम आग्रही पुरुष कामासक्त कैसे तरे वो!
(१४) क्रोध-लोभ औ. माया-मोह, सबका स्वाद कसैला
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