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श्रमण
सूक्तिकाएँ डॉ० सुरेन्द्र वर्मा
(१)
अंक-अक्षर नेत्र हैं ये दो, देखा करो इनसे!
(४) अप्रिय सहो कहो मत अप्रिय दुश्मन को भी
(२)
अंधकार में जो भी है जीता, अंधा । है वह पुरुष
(५)
अवसर को जिसने पहचाना है क्षण वो
(३) अनगिनत गुण-धर्म हैं, वस्तु लेकिन एक
(६) आत्मतुला में तोलो, दुःख सबके एक सरीखे
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