Book Title: Sramana 1997 01
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 34
________________ *. योगनिधान Jain Education International णासए तुरियं । ।। ९४।। क्किर समाण खद्धं दूखवतं गिंभेणय तक्क सहा पुणु पय सह लेवितं हाइ ।। ८८ ।। अह दक्खा (रका) गोथणिया कटिया कर सोवि सक्करा सहिया । पीयंतोवि णासइ तलयं मुत्तकिच्छाया ।। ८९ ।। अभया पलास छल्ली गोखरुव जवासउवि वडवत्ती । महुकरिसाटयणासइ खीणंडा होइ (य) मुत्त* रया ।। ९० ।। कंदविरालिय चुण्णं घयतेले तक्क सहवि मेलेह । तं भक्खिज्जइ णूणं भुत णिरोहो णिवारेइ ।। ९९ ।। अहलक कोडी मूलं कत्थं कट्टेवि लेह चउभायं । सियलं करेवि पीयं मुत्त दो सो पणासेइ ।। ९२ । । कंजिय सीणा केसू उरिवद्धा मुत्त थंभ वारेइ । अहजेठ्ठा घयपक्वा थंमइ मुत्ता गिरोहोय ।। ९३ ।। सोतकंच्चूर दिण्णं अह वद्यरिय उरिवद्ध कंजीए । अहकोट्ठाणयमद्दी भुजथंभहरा पत्था धादई सेहा पित्त पमेहाइ महुसहा हरए । अह छिण्णा सामरिमहु जिस धत्ती रस महो अहवा ।। ९५ ।। मूसलि जलतरु चुण्णं कुम्हेण वीयाइं रत्तखंडं च । छिण्णोभवसम चुण्णं कोरय भंडेण धारेह । । ९६ । । आम पए सह पाणं रत्तं किण्हं च अहव सेयं च । अठ्ठ दसा परमेहा णासंतहं णत्थि संदेहो । । ९७ ।। धारेसुखीर अपमग्ग पीयविसा भूणिंवो मोथ पडियउं । अभया छलपल गुल सह गुलिया भक्खंतो हरिस करिसेइ । । ९८ ।। सुंठी वेमिरिया वसु चित्तय सूरणोवि खंड दहिया । अडवीस गुलं गुलिया दुस्सह हरिसाइं अवहरइ ।। ९९ ।। विणिपल्लई णिसोया हरडइ सविडंग आंवला तिण्णि । वारह पल गुल गुलिया हरिसाइं सयाइ फेडेड़ ।। १०० ॥ विस्सासह जव खारं चुण्णं सह तक्क पीय हरस हरो । कोमल अइवेलहला अह सययं गक्खतं हरए । । १०१ । । तिला पटोल विसाला पडिकरसं तायमाणु पडिअद्धं । सोंठि सहाट्य नासइ गुज्झ हरिस कोठ (ढ) सो जोय ।। १०२ ।। सुरजव विसाल पिप्पलि चित्तय अपमग्ग वीय भूणिंवो । सिंधव सह दूण गुला गुलिया गुदहिरस णासेइ । । १०३ ॥ मूलनिरोधः जाति। ३१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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