________________
NAM
___ॐ ह्री ब्रह्मचर्य ऋद्धिसिद्ध भ्यो नम. अध्यं ।। सिद्ध
सकल रोग मिट संस्पर्शते, महायतीश्वर के प्रामर्शते । विनऔषधी यह ऋद्धि प्रभावना, भये सिद्ध नमत सुख पावना ॥३३॥ ४५
ॐ ह्री पामर्षऋद्धि सिद्धेभ्यो नम अध्यं । मूत्रमे अमृत अतिशय बसे, जा परसतै सब व्याधी नसै। औषधी यह ऋद्धि प्रभावना, भये सिद्ध नमत सुख पावना ॥३४॥
ॐ ह्री आमोसिय औषधिऋद्धि सिद्ध भ्यो नमः अयं । इतन पसीजत जल-कण लगतही,रोग व्याधि सर्वं जन भगत ही। औषधी यह ऋद्धि प्रभावना, भये सिद्ध नमत सुख पावना ॥३॥
ॐ ह्री जलोसियऋद्धि सिद्धेभ्यो नमः अध्यं । हस्त पादादिक नखकेश मे, सर्व औषधि है सब देशमे । औषधी यह ऋद्धि प्रभावना, भये सिद्ध नमत सुख पावना ॥३६॥
ॐ ह्री सर्वोसियऋद्धि सिद्ध भ्यो नम अध्यं । अडिल्लः-तन सम्बन्धी वीर्य बढ़े अतिशय महा,
एक महूरत अन्तर श्रुत चितवन लहा।
nuarunnnnnnnnnnnnnnnnnnium