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किस प्रकार हुआ है ? ' तब ऋषिने कमलमालाको पडदेके अंदर बुलवाकर कहा कि, 'आज गौमुख नामक यक्ष स्वममें आकर मुझे कहने लगा कि ', मैं विमलाचल तीर्थको जानेवाला हूं." मैंने यक्षसे पूछा- " इस तीर्थकी रक्षा कौन करेगा ?" उसने उत्तर दिया कि, 'हे गांगलि ऋषि ! तेरी पुत्री कमलमालाके भीम और अर्जुनके समान लोकोत्तर चरित्रधारी शुकराज व हंसराज नामक दो पुत्र हैं, उनमें से किसी एक को तूं यहां ले आ। उनके अपरिमित माहात्म्यसे इस तीर्थमें कोई उपद्रव नहीं होवेगा'! मैंने कहा, 'क्षितिप्रतिष्ठित नगर तो यहाँसे बहुत दूर है, मैं किस प्रकार जाऊं व उन्हें लेकर आऊं ?' मेरे इस प्रश्न पर यक्षने कहा कि, ' यद्यपि क्षितिप्रतिष्ठित नगर यहाँसे बहुत दूर है तथापि मेरे प्रभावसे समीपकी भांति दुपहरके पहिले ही तूं जाकर आ जावेगा।' इतना कह कर यक्ष अदृश्य होगया। प्रातःकाल होते ही मैं जागृत हुआ और वहांसे विदा होकर शीघ्र ही यहां आया । देवताके प्रभावसे क्या नहीं हो सकता है ? हे राजन् ! दक्षिणाकी भांति दोनों में से एक पुत्र शीघ्र मुझे दे, ताकि विना प्रयास प्रभातके ठंडे समय ही में आश्रम को चला जाऊं" ?
ऋषिके ये वचन सुनकर महा पराक्रमी, उत्कृष्ट कान्तिवान बालक हंसराजने हंसके समान गंभीर शब्दोंसे आदर पूर्वक पिताको कहा कि, "हे तात ! मैं तीर्थरक्षा करने जाऊंगा" यह सुन मातापिताने कहा--"तेरे बचनोंकी हम बलिहारी लेते हैं।"