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(१६२) होता है तदनंतर अचित्त होजाता है । छाना हुआ आटा तो दोघडीके बाद अचित्त होजाता है। __ शंका-अचित्त भोजन करनेवालेको अचित्त हुआ आटा आदि कितने दिन तक ग्राह्य है ? ।
समाधान- सिद्धान्तमें इस विषयके सम्बन्धमें कोई दिनका नियम सुना नहीं । परन्तु द्रव्यसे धान्यके नये जूनेपनके ऊपरसे, क्षेत्रसे सरस निरस खतके ऊपरसे, कालसे वर्षाकाल, शीतकाल तथा उष्णकाल इत्यादिके ऊपरसे और भावसे कही हुई वस्तुके अमुक २ परिणाम परसे पक्ष, मास इत्यादिक अवधि जहांतक वर्ण, गंध, रसादिकमें फेरफार न हो, और इली आदि जीवकी उत्पत्ति न हो वहांतक कहना । साधुको लक्षकर सत्तु-सेके हुए धान्यके आटे की यतना कल्पवृत्ति के चौथे खंडमें इस भांति कही है
जिस देश, नगर इत्यादिमें सत्तु के अंदर जीवकी उत्पत्ति होती हो, वहां उसे न लेना । लिये बिना निर्वाह न होता होवे तो उसी दिन कियाहुआ लेना। ऐसा करने पर भी निर्वाह न होवे तो दो तीन दिनका किया हुआ पृथक् र लेना । चारपांच इत्यादि दिनका किया हुआ होवे तो इकट्ठा लेना वह लेनेकी विधि इस प्रकार है
रजस्त्राण नीचे बिछाकर उसपर पात्र कंबल रख उसपर सत्तुको बिखेरना, पश्चात् ऊपरके मुखसे पात्रको बांधकर, एक