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प्रकार चारों ओर दृष्टि आती थी। मानो कौतुकसे उत्सुक हुए कुमारके मनकी प्रेरणा ही से झडपके भूमिका उल्लंघन करनेवाले उस अश्वने अपनी थकावट की ओर जरा भी ध्यान नहीं पहुंचाया। इस तरह वह अत्यंत भिल्लसैन्य युक्त महाभयंकर 'शबरसेना' नामक घोरवन में आया । वह बन सुननेवालेको भय व उन्माद करनेवाला, तथा अत्यंत तीक्ष्णजंगलीजानariat गर्जना से ऐसा लगता था मानो संपूर्णवनों में अग्रसर यही वन है । गज, सिंह, बाघ, सूअर पाडे आदि मानो कुमारको कौतुक दिखाने ही के लिये चारों ओर परस्पर लड़ रहे थेशियालोंका शब्द ऐसा मालूम होता था कि मानो अपूर्ववस्तु के लाभ लेनेके व कौतुक देखनेके लिये वे कुमारको शीघ्र बुला रहे हैं । उस बनके वृक्ष अपनी धूजती हुई शाखासे अश्वके द्रुत arat देख कर चमत्कार पा नतमस्तक हो रहे थे । स्थान २ पर कुमारका मनोरंजन करनेके निमित्त भिल्लयुवतियां किन्नरियोंकी भांति मधुरस्वर से उद्भट गीत गा रही थीं ।
आगे जाकर रत्नसारकुमारने हिंडोले पर झूलते हुए एक तापसकुमारको स्नेहभरी दृष्टिसे देखा । वह तापसकुमार मृत्युलोक में आये हुए नागकुमार के सदृश सुंदर था । उसकी दृष्टि rajras समान स्नेहयुक्त नजर आती थी; और उसे देखते ही ऐसा प्रतीत होता था, कि मानो अब देखनेके योग्य वस्तु न रही । उस तापसकुमारने ज्योंही कामदेवके